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दुल्हन लेकर आयी डोली सन्न 2059 के बाद पर आधारित

1988-89 में मेरे द्वारा बनाया गया एक गाना है जिसे आज के परिपेक्ष्य के हिसाब से मैने इसे कहानी का रूप दे दिया है । जों अभी तक घटित नही हुई है पर सन्न 2098 के बाद या उससे पहले या 21वी सदी के बाद जो कि हमारे न रहने के उपरान्त जरूर घटित हो सकती है औऱ हम इसे भविष्यवाणी भी कह सकते है । कहते हैं कि समय चक्र फिर से घूमता है इसमें फायदा यह रहेगा कि दुल्हन दहेज लाने से बच जायेगी सास ससुर की सेवा भी नही करनी पड़ेगी क्योंकि वह अपने घर मे रहेगी हाँ पहले की गाँव के समय की तरह दूल्हे को दहेज देना पड़ेगा। खेती करने के लिये पहले दुल्हन के माँ बाप दूल्हे से कुछ रुपये लेते थे ।और दुल्हा देता था । सबसे पहले मै तेजाब फ़िल्म के उस गाने को जो 1988 में आया था प्रस्तुत कर रहा हूँ। जिस पर मेरे द्वारा उक्त गाना बनाया गया । एक दो तीन चार पाँच छः सात आठ नो दस ग्यारा बारह, तेरा करू मैं गिन गिन कर इंतजार। मेरे द्वारा बनाया गया गाना ऐ-बी-सी-डी-ई-एफ- जी,एच-आई-जे-के-एल-एम-एन-ओ-पी- क्यू आर । श्री कृष्णा करेंगे बेड़ा पार, एक दो तीन तीन चार, दुल्हन चली घोड़े पर होके सवार, घोड़े पर होके सवार । दूल्हे को लेने आयी,अपने ससुराल, दुल्हन के आगे थी दुल्हन की चाची, घोड़े के आगे जोरों से नाची, दुल्हन के आगे थी, दुल्हन की मामी,उसने पहनी थी कुर्ती पजामी हाथों में था फूलों का हार। एक दो तीन तीन चार, घोड़े पर होके सवार। गाना सिर्फ इतना ही वरना बारात पहुंचने में देर जो जाएगी ।बाकि क्या कहें इस बारात में तो औरतें एवम लड़कियां अधिक, पुरुष कम ही थे, बारात में भीड़ भी बहुत थी क्योंकि दुल्हन भी तो दो थी दो दुल्हन की बारात जो ठहरी। अलग अलग घोड़ी पर सवार थी। बारात इस इस समय जो होटल गुल मोहर की ओर जा रही थी जहाँ दो दूल्हे अपनी दुल्हन का इंतजार कर रहे थे, बारात पहुँचने में कुछ देर तो लगनी है जब तक बारात होटल पहुँचेगी। तब तक मै आपको अपनी बनायी गयी टाइम मशीन की ओर ले चलता हूँ। ये टाइम मशीन वर्तमान भूत भविष्य सब जगह चली जाती है। मेरी टाइम मशीन हर उस कहानी में जायेगी। जहाँ उसकी जरूरत पड़ेगी। यहाँ तक पूर्व जन्म में भी। इस समय यह मशीन भविष्य में है। यह मशीन थोड़ा अब कुछ साल पहले भूतकाल में एक दुल्हन की ससुराल अर्थात दूल्हे की माँ के घर की ओर औऱ एक दुल्हन के घर की ओर उससे पहले उक्त कथानक धीरे-धीरे वर्तमान से भूतकाल एवम भविष्य की ओर बड़ती रहेगी। रोमा देवी के दो बालक थे ,पति तो उसका था नहीं। दरसल उसने अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मारी। उसका पति एक छोटी सरकारी नौकरी करता था, इस बजह से उसके माँ बाप ने उसकी शादी विजय से कर दी । उसके एक पुत्र औऱ एक पुत्री भी पैदा हो गई। पर उससे उनका खर्चा नहीं चलता था,जिससे उसने भी जॉब शुरू कर दी पड़ी लिखी तो वह थी, अब धीरे धीरे वह अपने सास ससुर से अलग रहने का मन बनाने लगी इस विषय मे उसने विजय से बात की। तो पहले तो वह टालता रहा। फिर आये दिन रोमा उससे झगड़ने लगी। पर बिजय ने अपने माँ बाप को नहीं छोड़ा पर उसे छोड़ दिया क्योंकि बात तलाक तक पहुँच गई । विजय के माँ बाप ने अपनी बहू को और खुद उसके माँ- बाप ने भी उसे बहुत समझाया पर, वह नही मानी और उसने खुद अपने पति से तलाक ले लिया था।उसे भी थोड़ा मार्डन जमाने की हवा भी लग गयी थी, जब तक बच्चे छोटे थे। तब तक वह अपने माँ-बाप के साथ रही।फिर भाई की शादी होने के बाद उसे घर छोड़ना पड़ा। क्योंकि उसकी अपनी भाभी से पटती नहीं थी, फिर वह दूसरे शहर में चली गयी। अब वह अधेड़ उम्र यानि कि अर्द्ध बुढ़ापे की ओर कदम रख रही थी। क्योंकि बुढ़ापे में ही सुख-दुख के साथी की जरूरत पड़ती है।अब वह पछता रही थी कि उसने तलाक क्यों दिया होगा। क्योंकि उसे अब जीवन साथी की जरूरत महसूस होने लगी।जबकी उसने दूसरी शादी भी नहीं की थी, पर अब क्या हो सकता था, बिना बिचारे जो करे, तो अब काहे को पछताहे। अब पछताहे होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत। सोचते हुए उसकी आँखों में आँसू आगये। उसके माता पिता औऱ सास ससुर भी नही रहे। सास ससुर के मरने के बाद उसके पति ने भी किसी बिजनेसमैन की लड़की के साथ दूसरी शादी करली थी। और दूसरे शहर वह भी बिजनेस करने लगा। अपने बच्चों को उसने बताया दिया था कि उसके पापा उन्हें छोड़कर चले गये।

रोमा देवी बालक जिसका नाम देवा था, पर वह भी बहुत शरीफ था, पर उसने बी काम पास कर दिया था और एक प्राइवेट कंपनी में जॉब कर रहा था। 24 वर्ष का हो गया था उसकी अभी तक शादी भी नही हुई थी। इसके ठीक विपरीत उसकी एक लड़की थी उसका नाम था रानी पर वह भी अपने को किसी रानी से कम नहीं समझती थी। पर पढ़ने लिखने के साथ-साथ वह समझदार भी बहुत थी,अगर कोई बात ठान ले तो पूरा करके रहती जब तक वह पूरा न हो जाय छोड़ती नहीं थी। उसकी उम्र भी 22 से कम नहीं थी उसने बीए पास कर दिया था, पर अभी कोई जाब नहीं कर रही थी पर जल्दी ही उसको अच्छी जाब मिलने वाली थी । छुट्टी का दिन था, तीनों बैठे थे। देवा - तुम और तुम्हारी बहिन अब सयाने हो गये हो। मैं कब तक चूल्हा जलाऊँगी। अब मै तुम्हारे लिए लड़की देखूंगी, पर तुम्हारी कहीं पसन्द तो नहीं है। रोमा देवी अपने बेटे से बोली। पर पहले रानी की शादी तो करलो मम्मी। देवा बोला। नही-मम्मी मै अभी शादी नहीं करुँगी, रानी ने कहा। पर क्यो? उसकी माँ बोली। मै आप लोंगो को छोड़कर कही नहीँ जाऊँगी।मै आपके लिए घर जमाई लाऊँगी। क्या? रोमा देवी आवाक रह गयी। पर कौन तैयार होगा घर जमाई के लिए,फिर तू क्या धन्ना सेठ की बेटी है। मैं और मेरी सहेलियां इस रिवाज को बदलेंगी। रानी अपनी माँ से बोली- लगता है तू पागल जो गयी है। रोमा देवी बोली- एक बात बताओ। मम्मी आपने पापा ने क्यों छोड़ा आपने, अपने ससुराल में क्यों नहीं रही, इसलिए ताकि आप अपने ढँग से जी सके ।भैया भी अब घर जमाई बनेगे। ताकि भाभी की रोक टोक मुझ पर न हो । रानी बोली। देख देवा क्या कह रही है- तुम्हारी बहिन लगता है सचमुच पागल हो गयी है, रोमा देवी अपने बेटे से बोली, ठीक ही तो कह रही है रानी, माँ बहु उतनी सास ससुर की सेवा नहीं करेगी मम्मी जितनी कि बेटी करती है फिर अपने बेटे को कहेगें। जब से शादी हुई है, जोरू का गुलाम बन गया, फिर अपनी लो कितने दिन तक रही आप अपने ससुराल-देवा ब्यगांत्मक शब्दों में बोला। पर यह तुमसे किसने कहा कि मैने तुम्हारे पापा को छोड़ा,रोमादेवी बोली। बातें कभी छिपती है मम्मी। अच्छा जरूर तुम्हारी मामी ने कहा होगा। रोमादेवी बोली- इतनी बातें अगर कोई और बोलता तो शायद महाभारत हो जाती पर बच्चों की सुननी पड़ती है, आगे वह कुछ नहीं बोली,वह भी तो नहीं थी चाहती थी, सास ससुर के साथ रहना पर पति ने अपने माँ-बाप को नहीं छोड़ा उल्टा उसको ही छोड़ दिया। ठीक है,जैसे तुम ठीक समझो तू घर जमाई बनने को तैयार है। रोमादेवी अपने बेटे से बोली।भैया की छोड़ो मम्मी उसे मै तैयार करती हूँ,रानी बोली।पर ऐसा कैसे होगा। रोमा देवी बोली। यह सब मुझ पर छोड़ दो। एक लड़का मुझसे से प्यार करता है,वह मुझ पर लट्टू है, पर मैने उससे शादी करने की यही शर्त रखी है की घर जमाई बनना पड़ेगा। वह तैयार हो गया है । उसके आगे पीछे कोई नही है। सिर्फ एक मामा और मामी है वह भी उसे ज्यादा पसन्द नहीं करते हम मन्दिर में शादी कर लेंगे।और मै मन्दिर में बारात ले जाकर उससे शादी कर घर में ले आऊँगी। और तो और तुम्हें दहेज भी नहीं देना पड़ेगा। उल्टा दहेज हमारे घर आ सकता है, कहो कैसी मम्मी- रानी ने सब कुछ एक ही साँस में कह डाला। पर लडक़ा करता क्या है-क्या नाम है,उसका खानदान कैसा है।हम लोग रहेगें कैसे-? कमाई का साधन भी तो होना चाहिए। रोमादेवी बोली। वह प्राइवेट बैंक में मैनेजर की जॉब करता है, नाम है जय । अब हमें ख़ानदान नही देखना चाहिऐ फिर भी बता दूँ कि उनका खानदान हमसे ज्यादा बहुतअच्छा है। एक बार आपको उनकी मामाजी के घर जाना पड़ेगा, बात करने को वैसे वह घर भी जय का है, पर जब मुझे उस घर में रहना नही तो क्यों सोचें । पर उससे पहले मुझे भैया की शादी करनी है। ताकि यहां तुम मैं और जय रहेगा। रानी ने अपनी मम्मी को समझाते हुए कहा- जैसे तुम्हारी मर्जी बेटी पर तुम्हारे भाई के लिए लड़की तो देखनी है- रोमादेवी बोली । मेरी एक सहेली है रीमा जो भैया को बहुत चाहती है पर भैया उसको मुँह नहीं लगाते हैं। उनका तो अच्छा भला बिजनैस भी है और वह अपने पापा की इकलौती बेटी है भाई भी नहीं है। सब कुछ उसका ही है। भैया को नौकरी करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। उसके पापा भी यही चाहते हैं, क्योंकि उनका कोई नही है, रीमा की मम्मी भी नहीं है ,ठीक है न भैया।जानते हो न रीमा को। हाँ जानता हूं पर वह साँवली है । क्या हुआ भैया, यह भी तो देखो बेटी किसकी है सेठ प्रेम नारायण की,फिर तुमने तो वहीं रहना है,वह यहाँ तो रहेगी नहीं। आखिर सब कुछ तुम्हारा तो होना है।रानी एक ही सांस में बोली । एक बार हमें उनके यहाँ तो जाना पड़ेगा। रोमादेवी बोली- जाने की जरूरत नही मम्मी उसके पापा ही रिश्ता मागने को यहीं आएंगे हम सब सहेलियों ने फैसला कर लिया है क्योंकि लड़के वाले तो लड़की वालों को कुछ नहीं समझते ऊपर से दहेज माँगते हैं, इसलिए हम समाज को ही बदल डालेंगे मैं अपनी सहेली को सब कुछ समझा दूंगी।वह भी तो भैया को जी जान से चाहती है। वैसे सब पहले से सब सेट है बस आपको कन्वेंस करना था सिर्फ एक बार मै जाऊँगी उनके यहाँ अपनी सहेली को मिलने और रीना के पापा को कनवेंस करने के लिये। उनसे मिलने के बाद बताऊँगी आगेक्या करना है । यह कहकर रानी चुप हो गयी और उसकी माँ तो अपनी बेटी को ऐसे देख रही थी जैसे वह उसकी बेटी न हो बल्कि उसकी अम्मा हो। कब बुलाओगी उनको और मै तेरे ससुराल कब जाऊँगी। मै जरा जय और अपनीसहेलीसे बातकरलूं।रानीबोली-ठीक है,पर जरा जल्दी बात कर लेना हो जाय तो अच्छा है। मै चाहती हूँ कि तुम दोनों की शादी एक साथ हो जाय तो अच्छा है । नहीं मम्मी अभी मैं कुछ नहीं कह सकती अगर नही हुआ तो भैया की शादी के बाद सगाई करुँगी।पर क्यो? उसकी मम्मी बोली। मै चाहती हूँ कि हम सगाई के लिए वहीं जायेगें रानी ने कहा- फिर रानी अपनी सहेली रीमा से मिली जो उसके भाई को पसन्द करती थी। उससे पहले वह जय से मिली उसे बताया कि वह तुम्हारे मामा मामी से रिश्ते की बात करने को तीन दिन बाद आएंगे। अपने मामा मामी को बता देना 7-8 लोग ही आएंगे। फिर वह रीमा के घर गयी भैया तो मान गये मम्मी भी मान गयी अब तुमने अपने पापा को कन्वेंस करना है बात बनती तो ठीक है इस तरह से बात आगे बढ़ानी है ध्यान रहे, हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि अधिक खर्च कर सके ।रीमा ने अपने पापा से मिलाया और सारी बात बताई यह भी बताया कि रीमा उसे चाहती है उसके पापा इसी शर्त पर माने कि उसके भाई को घर जमाई बनना होगा। तब तो और उसका सब कुछ सम्भालना है क्योंकि उनकी तबियत भी ठीक नहीं रहती है घर जमाई तो बन जायेंगे भैया,पर फिर हमारा घर का खर्चा कैसे चलेगा। दूसरे शादी का खर्चा भी आपको उठाना पड़ेगा।अंकल रानी बेधड़क बोली । ‘यह सब मुझ पर छोड़ दो जो भी खर्चा होगा मै करूँगा। सेठ जी ने कहा। ‘ठीक है अंकल , रानी बोली। पर पापा हम लोगों की समझो या हमारी सहेलियों की एक शर्त है कि सगाई करने को दुल्हन उसकी सहेलियां भी जाएंगी दूल्हे के घर दूसरी शर्त कि बारात दूल्हन लेके जायेगी दूल्हे के घर और दूल्हा बिदा होगा अपने घर से तब दूल्हा घर जमाई बनेगा, मंजूर है पापा तब यह शादी होगी। रीमा बोली,- ये क्या कह रही हो तुम ऐसा कभी हुआ है आज तक लोग क्या कहेगें फिर तुम्हारी ससुराल वाले,----- रानी सेठ प्रेम नारायण की बात काट कर बोली, लोगों को कहने दो अंकल जब हम तैयार हैं तो रानी बोली। तो तुम पूरी तैयारी करके आयी हो मतलब तुम्हारी माँ भी तैयार है।वैसे तो सेठ प्रेम नारायण को अच्छे रिश्ते मिल जाते पर घर जमाई वाला रिश्ता नहीं मिल रहा था । और फिर तबियत भी ठीक नहीं रहती थी। कब बुलावा आ जाय लड़का भी अच्छा था सेठ प्रेमनारायण तैयार हो गये । परसों आप हमारे घर मम्मी से रिश्ते की बात करने के लिए रीमा के साथ आजाना। फिर दूसरे दिन रानी ने जय से भी बात करदी। औऱ अपनी मम्मी अपनी होने वाली भाभी जय औऱ अपनी सहेलियों को लेकर जय के घर पहुँच गए शादी की बात करने को । जय के मामा ममी भी तैयार हो गये, इस रिश्ते को घर जमाई बनकर जा रहा था तब तो मकान भी उनका हो जाएगा। अगले दिन सेठ प्रेमनारायण भी अपनी बेटी के लिए देवा का हाथ मांगने पहुँच गये, रीमा ओर कुछ सहेलियों के साथ, रोमा देवी और रानी ने उनका जोरदार स्वागत किया। सबने खाना आदि खा लिया तो जैसे रोमा देवी बोली सेठ जी आप जब मेरे बेटे को घर जमाई बना रहे हो तो हमारा घर कैसे चलेगा। मै सोच रही हूँ कि पहले बेटी की शादी होजाय तो अच्छा है।मुझे उसका खर्च भी करना है सोचती हूं , राखी वाले दिन इनकी सगाई कर दी जाय और उसके तुरन्त ही मन्दिर में इनकी शादी कर दू। रोमा देवी को जैसे उसकी बेटी ने समझाया था वैसी ही बोली। पर मम्मी मै तब तक शादी नहीं करुँगी जब तक भैया की शादी नहीं होजाये। पर बेटी इतना खर्चा एक साथ पहले तुम शादी करलो उसके दो माह बाद दशहरे में तुम्हारे भैया की शादी करलेंगे क्योंकि इतना खर्चा एक साथ दिक्कत पड़ेगी। डैडी एक बात बोलूं आपने मेरी शादी में जो दहेज पर खर्च करना था अभी कर लीजिये । पर शादी एक साथ जो जाय तो अच्छा है। क्योंकि आप की तबियत भी ठीक नहीं रहती- डैडी । आप चिन्ता न करें बहिन जी जबचिंता न करो मेरी तबियत भी ठीक नहीं रहती जब हमने रिश्ता कर दिया है तो सारा खर्चा मै करूँगा। जो दहेज में देना है वह खर्च रानी बिटिया की शादी कर देते है। पर अभी तो हमें कल बात करेगें रिश्ते की आप भी तो चलेंगे कल मै क्या करूँगा। जाकर आप बात कर लीजिये रीमा औऱ इनकी सहेलियों को लेजाइये जो भी यहाँ आये है तबतक मै दोनों तरफ की सगाई की ब्यवस्था होटल में करता हू।आपके कितने मेहमान होंगे बता दीजिए। राखी वाले दिन रानी और रीमा बिटिया की सगाई भी एक साथ हो जाएगी। और शादी भी एक साथ हो जायेगी। शादी होटल से ही करनी पड़ेगी तभी तो शादी एक ही दिन होगी दोनों तरफ के वही मेहमान होंगे ठीक है न बहिन जी हाँ ठीक है रोमा देवी बोली फिर वह लोग चले गये । और दूसरे दिन रीमा उनकी सहेली जो कि दोनों की थी। रानी उसकी मम्मी उसका भाई और रानी के मामा-मामी रिश्ते की बात करने को गये। जय के मामा मामी ने उनका स्वागत किया। फिर सारी बात घर जमाई वाली बात और बारात वाली बात भी बता दी। उसके मामी तो खुश हो गये ये घर तो उनका ही हो गया। खाना खाकर उन्होंने बताया कि सगाई राखी वाले दिन होटल में होगी। उनकी तरफ से कितने मेहमान होंगे ।यह बता दीजिए । और फिर सगाई एक होटल में धूम-धाम से राखी वाले दिन हो गई । राखी का त्योहार भी होटल में ही मनाया गया रोमा देवी ने अपने भाई को रानी ने देवा को और रीमा ने रानी के होने वाले पति जय को राखी पहनायी। उसके बाद सगाई की रस्म की शुरुआत की गयी जिसमें काफी मेहमान थे, 100 लोग तो रहे होंगे। जैसे रोमादेवी की भाई-भाभी अर्थात रानीकेमामा-मामी उनके बच्चे रानी की ससुराल जय के परिवार से मामा -मामी उनके बच्चे रीमा के घर के थे कुछ खास-खास पड़ोसी,दोनों परिवारों रीना, जय और देवा,रीना की सगाई की अंगूठी की रस्म। आपस मे दूल्हा दुल्हन ने पहनी एवमअन्य रस्म भी संम्पन्न हुई। इसमें होटल का सारा खर्च सेठ प्रेमनारायण ने किया जय के मामा मामी लोग भी खर्च दे रहे थे, तो पर सेठ जी ने नहीं लिया सब कुछ अच्छी तरह से निपट गया और फिर विवाह वाला दिन भी आ गया औरअब टाइम मशीन गई जहाँ से चली थी , अब आखिर बारात अब होटल गुल मोहर पहुँच ही गई। पर स्वागत के लिए कौन था। वहां केवल दोनो दूल्हों के दोस्त और जय के मामा मामी और रानी के मामा पार्टी में बुलाये लोग और रानी की माँ ये लोग बारात में नहीं गये थे उनके कुछ बुलाये लोग। क्योकि दुल्हने तो घोड़े पर सवार थी और दुल्हन के घर वाले भी। और फिर एक-एक कर बारात से लोग हटने लगे,अब दोनों दुल्हने घोड़े से नीचे उतरे और फूलों का हार पहनाकर एक दूसरे का स्वागत किया,पर आपस मे गले मिली। फिर दूल्हे जय के मामा मामी ने दुल्हन रानी और दुल्हन रीमा का फूलों का हार डालकर और उसकी सहेलियों का स्वागत किया रोमा देवी और उसके भाइयों ने दुल्हन रीमा और उसके पिता का फूलों के हार से स्वागत किया। चारों ओट तालियों की गड़गड़ाहट माहौल गूँज उठा। दूल्हा-दुल्हन के लिए एक ओर बड़ा सा अलग-अलग स्टेज बने हुए थे, वह स्टेज में जाकर बैठ गये जहां उनके दूल्हे पहले से ही बैठे थे, फिर अन्य लोग बाराती, रिश्तेदार घर के लोग, पड़ोसी तथा सेठ प्रेमनारायण के जानने वाले लोग अपनी-अपनी कैटागिरी या परिवार के साथ बैठ गये। और धीरे-धीरे लंच का कोई आनन्द लेने लगे औऱ मीनू के अनुसार बेटर वहाँ पर लगी मेजो पर सर्व कर रहे थे। किसी को उठने की जरूरत नहीं थी। औरसाथ स्टेज पर शादी का कार्यक्रम चल रहा था। और फिर कुछ समय बाद लंच का कार्यक्रम निपट गया। तो अब दोनोँ पार्टियों की जय माला का प्रोग्राम शुरू हो गया। पहले रानी ने जय को ओर जय ने रानीको वरमाला/ जय माला पहनायी उसके बाद रीमा ने देवा को और देवा ने रीमा को जयमाला/वरमाला पहनायी। चारोँ ओर तालियों शोर शराबा और सीटियों की आवाज से माहौल गुंज उठा। सेठ प्रेमनारायण ने वरमाला को ऐसी बनाई थी जैसे माला के चारों ओर डायमंड लगे हो । उसके बाद दूल्हा दुल्हनों वह कसम खायी जो सात फेरों में खायी जाती है। फिर साथ जीने मरने की कसम भी खायी जाती है। एक बात हम आपको बताना भूल इस शादी में पंडित जी के अलावा वे गणमान्य लोग भी थे जिन्होंने शादी का सार्टिफिकेट भी देना था। जैसे जज लोग कुछ वकील लोग भी थे जहाँ तक सेठ प्रेमनारायण की जान पहचान थी। और उसके बाद रानी द्वारा स्टेज में परिचय कराया गया।रानी बोली- आप लोग सोच रहे होंगे। कई लोग बोलेंगे नहीं यह कैसा रिवाज है। कि दूल्हे की जगह दुल्हन बारात लेकर जारही है। यह सब मेरी सहेली रीमा जो मेरे भाई की दुल्हन बनी है,मेरी भाभी बनी है मेरे पति जय जो मेरे दूल्हे है।के प्रयास से हुआ।इसमें हमारी अन्य सहेलियों का हाथ भी है।हमने इसमें यह निर्णय इसलिये भी लिया गया इसमें हमारे दूल्हे घरजमाई बनेंगे इससे फायदा यह होगा कि 1 – इसमें घर जमाई में फायदा यह होगा कि दुल्हन को कोई दहेज नहीं लाना पड़ेगा। 2–दुल्हन जब अपने घर में रहेगी तो वह अपने माँ-बाप की सेवा करेगी।क्योंकि बहु के रूप में वह सास-ससुर की सेवा नहीं कर पाती, पहले तो कोई बेटा सेवा करता नहीं है,अगर किसी बेटे ने कर भी तो उन पति- पत्नी में खट-पट होजाती है। इसलिए हम सहेलियों ने ये फैसला लिया है अगर कोई घर जमाई न बनना चाहे तो बात अलग है,लेकिन अगर हम लड़कियां न चाहे तो नही हो सकता है।शर्त लगा दे कि शादी बेगैर दहेज के होगी। इसमें सबसे बड़ी समस्या दहेज की जो खत्म हो जाएगी।चारों ओर से तालियाँ उठी।सबने इस बात की सराहना की । 3– मैं आप सबसे यह कहना चाहती हूँ इस शादी में सबसे बड़ा योगदान मेरी सहेली के पिता अर्थात मेरे भैया के ससुर सेठ जी का रहा है। जिसमे सारा होटल आदि का खर्चा इनके द्वारा किया गया मैं दिल से इनका दिल से धन्यवाद करती हूँ। अगर आप चाहे तो इस विषय मे कुछ कहना चाहते हैं। सेठ प्रेम नारायण स्टेज पर आये बोले।पहले तो मेरी समझ मे नहीं आया कि मेरी बिटिया और रानी बिटिया क्या कह रही है, फिर इनके द्वारा मुझे दहेज के और सास-ससुर की सेवा जो इन्होंने आप सबको बताया समझाया। तब बात मेरी समझ में आगयी मै मान गया । रही खर्चे की बात । भगवान का दिया मेरे पास सबकुछ है। खर्च तो शादी में मैने करना ही था,इसमें थोड़ा और सही। अब सेठ प्रेमनारायण की बेटी रीमा ने माइक अपने हाथ मे लिया, और बोली हमने ठीक किया है या नहीं आप लोग बताइये। लोगों की तालियां बजी । ताली बजने के बाद आवाज सुनायी दी। बिल्कुल ठीक किया हम भी ऐसा करेंगे।जिससे दो फायदे जरूर होंगे। एक तो दहेज की समस्या सुधरेगी। दूसरे माँ -बाप समझो या सास-ससुर की सेवा हो जाएगी। जो ऐसा करना चाहते हैं, आप लोग भी मन मे ऐसी शपथ खाओ। हम भी आपका पूरा साथ देंगे, रीमा बोली– अब आप लोग पूरा भोजन कीजिये।और जो डांस का लुत्फ लेना चाहे तो ले सकते है।इसके बाद शादी पूरे हमारे रश्मो रिवाज से होगी, जो शामिल होना चाहते है। पूरा इंज्वाय करें और जो घर जाना चाहते है। वह घर भी जा सकते हैं,पर भोजन के बाद। उसके बाद लोग लिफाफे पकड़ाने लगे। तो सेठ प्रेमनारायण ने कहा इसकी जरूरत नहीं। जो लोग गिफ्ट लाये थे लोंगो ने स्टेज दूल्हा दुल्हन को पकड़ा दीये और फिर डांस शुरू हुआ।उसके बाद कुछ लोग चले गये केवल घर के लोग रह गये जिन्हें शादी पूरे रश्मो-रिवाज से करनी थी। पूरे ढंग से फेरे किये गये। जैसे शादी में होता था,सब रीति-रिवाज से शादी सम्पन्न हुई। फिर सुबह पहले दूल्हा दुल्हन दूल्हे के घर गयी फिर वही से दूल्हे चले। अपनी ससुराल घर जमाई बनने, दुल्हन के मायके पहले जय रानी जय के घर गये और वहाँ कुछ देर रुककर रानी के घर गये और देवा रीमा के साथअपनेअपने घर गया तब तक रानी और जय भी वहाँ आगये थे वह आपस मे गले मिले फिर रानी अपने भाई देवा,और अपनी सहेली भाभी से गले मिली, रस्म के अनुसार रोमादेवी ने उनकी आरती भी उतारी। और फिर चारों ने रोमा देवी और सेठ प्रेमनारायण के के पैर छुए। फिर सबने यहीं भोजन ग्रहण किया। बाकी सब लोग तो होटल से ही चले गये थे, उसके बाद रस्मानुसार दुल्हन बनी रीमा अपने मायके और देवा अपने ससुराल चला घर जमाई बनकर और जय तो पहले ही आगया घर जमाई बनकर रानी बनकर । तो पाठक गणों को कहानी पसन्द आयी होगी । शेयर कर बताइयेगा। कि 2059 के परिपेक्ष में यह कहानी लिखी गयी। इस कहानी का समापन यहीं होता है। अगर इससे आगे और भविष्य में जाना है, तो मुझे टाइम मशीन कोआगे लेजाने के लिए आपको बताना पड़ेगा।कि कहानी कैसे लगी और आगे के लिए क्या राय है,ऐसी कहानी आपको अभी तक मिली नहीं होगी तो जरूर बताइयेगा। उसके कुछ आगे टाइम मशीन हमे ले जायेगी आगे के कुछ अंश जरूर दूँगा। कहानी के दूसरे चेप्टर में जो होगा। अगर आपको कहानी अच्छी लगी तो लाइक कमेन्ट से बताइये। तो आगे पढ़ियेगा घर-जमाई । उन परआगे क्या बीतेगी। पढ़िएगा। जिसका दूसरा भाग होगा।

****************(घर-जमाई)******************💐

✍️ Written By मोहन देव पाण्डेय