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बहुरूप

प्राचीन काल मे एक राज्य था, प्रताप गढ़, उस राजा का नाम प्रताप सिंह था। प्रताप सिंह की एक रानी थी, जो एक कन्या को जन्म देते ही परलोकवासी हो गयी, राजा ने कन्या का नाम रूपमती रखा, जब राजकुमारी 19 वर्ष हो गयी तो राजा को उसके विवाह की चिन्ता हो गयी, राजकुमारी को कोई योग्यवर नहीं मिल पा रहा था।

दरअसल उसकी कुण्डली में पति सुख नहीं था। उनके ज्योतिष ने भविष्यवाणी की थी। कि राजकुमारी की शादी उस व्यक्ति के साथ होगी, जो व्यक्ति मौत से टकराकर बच जायेगा तो उसे पति का सुख मिल सकता है। लेकिन ऐसा करने के लिये कोई राजकुमार तैयार नहीं हुआ। क्यों की कोई अपनी जान नहीं देना चाहता था।

उसी राज्य मे राजा प्रताप सिंह का एक गहरा मित्र सेठ रामदास दास रहता था। वह हीरे जवाहरात का बङा व्यापारी था, उसका एक पुत्र था, उसका नाम था जगन, जो 22 वर्ष का खुबसूरत युवक था।

इधर राजा ने अपने परम मित्र सेठ रामदास को बुलाया और राजकुमारी के लिये ऐसा वर ढुढने के लिये कहा जो मौत से भी टकरा सके। चाहे वह गरीब ही क्यो ना हो। सेठ रामदास ने यह बात अपने पुत्र जगनको बतायी। तो उसका पुत्र जगन बोला, मै राजकुमारी से विवाह करने के लिये तैयार हूं। यह तुम क्या कह रहे हो बेटा -? मै तुम्हे मौत के मुहं मे नहीं भेज सकता ,क्योकि तुम मेरे इकलौते पुत्र हो। सेठ रामदास अपने पुत्र से बोले–। रूपमती भी तो उनकी इकलौती पुत्री है। ये तो सोचो पिता जी राजा के बाद उस राज्य का राजा भी तो मैं ही तो बनुगा। फिर मौत से क्या डरना आप राजा से बात करें। जगन ने कहा। वह आपके मित्र है। बङी मुश्किलसे सेठ रामदास तैयार हो गये। उन्होने राजा से डरते- डरते बताया कि उसका बेटा जगन शादी करने के लिये तैयार है राजा ने सोचा कल बेटी अकेली हो गयी तो मुश्किल पड़ जायेगी। उन्होने रूपा से विवाह के बारे मे पुछा और जगन के विषय मे बताया राजकुमारी तैयार हो गयी। लेकिन बोली उसे मुझे ऐसा करिश्मा दिखाना होगा जो किसी ने न देखा हो और मौत के मुहं मे जाकर मौत से बचकर आ जाये। राजा ने अपने राज्य में इस बात का ढिंढोरा भी पिटवा दिया था कि जो कोई भी युवक मौत से बचकर आ सके उसके साथ प्रताप गढ़ की राजकुमारी का विवाह किया जाएगा पर भला अपनी जान को कोई जोखिम डालेगा, इस कार्य के लिए जगन तैयार हो गया वह राजा और राजकुमारी के पास आया और बोला मै बचन देता हुं ,एक माह के अन्दर आपको चमत्कार दिखाऊंगा और मौत के मुहं से बचकर वापस आऊंगा। राजकुमारी ने कहा- मै प्रतीक्षा करूंगी,जगन चला गया और राजकुमारी उसे देखते ही रह गयी। सेठ रामदास और जगन राजकुमारी को चमत्कार दिखाने की वजह से जंगल की ओर चल पड़े। चलते-चलते दो दिन बाद उन्हे एक साधु महाराज दिखायी दिये। देखा तो बाबा इस समय आश्रम में बैठै थे। उन्होंने साधु के चरण छुये साधु ने उन्हे आश्रीवाद दिया।और बोला बच्चा क्या चाहते हो हम कोई ऐसा करिश्मा देखना चाहते है। जिसे किसी ने ना देखा हो । जगन ने कहा साधु बाबा ने हवा में हाथ उठाया। जंगल की जगह मंगल ही मंगल हो गया। जंगल की जगह शहर बन गया। मै आपको गुरू बनाना चाहता हूं बाबा मुइे भी ऐसे कोई चमत्कार सिखायें जो मैं मौत के मुंह मे जाकर बचकर आ जांऊ। जगन बोला भला क्या कोई मौत के मुंह से बचकर आ सकता है मैं तुम्हे चमत्कार सिखाऊंगा लेकिन उसकी एक शर्त है । क्या बाबा जगन बोला । तुम्हारे पिता को यहां से जाना होगा। एक माह में मैं तुम्हें चमत्कार सिखा दूंगा उसके बाद तुम घर जा सकते हो। बाबा क्या मैं यहां नहीं रह सकता– साधु बाबा बोले- मोह तो तुम्हें छोङना ही होगा। जगन ने पिता को समझाया। तो सेठ रामदास चले गये। कुछ समय बाद साधु जगन कोअपनी कुटिया पर लाया। कुटिया मे एक कन्या थी। जिसका नाम था परी साधु बाबा ने परी से कहा जाओ इसे अन्दर ले जाओ। तुम्हें पता होगा। की मैं इसे यहां क्यों लाया और साधु बाबा ने कहा और चले गये परी ने जगन को अन्दर आने इशारा किया । जगन अन्दर गया तो उसकी आखें चकाचौंध हो गयी। कुटिया के अन्दर बहुत बङा राजमहल सजा था। जहां किसी वस्तु की कोई कमी नहीं थी परी बोली यहां कैसे आये और तुम्हारा नाम जगन मैं तो साधु बाबा से चमत्कार सीखने आया था। यह कहकर उसने राजकुमारी रूपमती की औरअब तक सारी कथा सुनाई । अच्छा तो यह बात हैं। तुम चमत्कार सीखना चाहते हो जो मौत को भी मात दे सके। यह मेरे बाबा है।पर साधु नहीं तांत्रिक है। जो तुम्हें फँसाने के लिये लाये है। अगले माह अमावस्या आने वाली है। वह देवी माँ को तुम्हारा बलिदान देंगे उसके बाद तुम्हारा माँस खायेंगे। इस प्रकार उसके द्वारा कई युवको को मौत के घाट उतार दिया। तुम आखिरी व्यक्ति हो जब वह तुम्हें मार डालेगा। तो वह सिद्व तांत्रिक बन जाएगें फिर उन्हें कोई नहीं मार सकता है। तुम अपनी बेकार जान गवांना चाहते हो। तुम यहाँ से भाग जाओ। मै तुम्हारी मदद करूंगी। परी बोली बहन एैसा नहीं कर सकता मैने यह कार्य नहीं किया तो मेरा आना बेकार है। मै मौत से नहीं डरता फिर मैं राजकुमारी को वचन दे चुका हॅू। कहकर उसने अब तक लड़की को सारी कहानी सुना दी ठीक है भैया।मैं आपकी मदद करुंगी। पर वह तुम्हारे पिता मै उनसे नफरत करती हूं क्योंकि उन्होंने मेरी मां को मार डाला वह देवी मॉं को प्रसन्न करने को गये हैं। वह अमावस्या के दिन आयेंगें। और तुम्हारा बलिदान देंगे मै तुम्हें 15 दिन के अन्दर मै तुम्हें सब कुछ सिखादूँगी उसके बाद यहां से चले जाना। परी ने कहा ठीक है बहिन आज से तुम मेरी गुरू हो। फिर परी ने उसे रूप बदलना सिखाया एवम अपनी रक्षा करनी सिखाई ऐसा कोई विद्या न हो जो उसने न सिखायी हो अब तुम जाओ भैया और रोज अभ्यास करते रहना मै तुम्हे एक लगाम दे रही हूँ इसी में तुम्हारे प्राणों की वापसी है। इसको किसी को मत देना फिर अंत मेंउसके कान में कुछ कहा। और बोली किसी गरीब को मत ठगना वरना- औऱ लगाम जगन को पकड़ाईं। तुम भी मेरे साथ चलो जगन बोला नहीं बाबा को पता लग गया तो कयामत आ जायेगी जिस दिन मौत का खेल शुरू होगा मै वहाँ पहुँच जाऊँगी अपने बाबा सेअपने चेले की रक्षा भी तो करनी है। गुरु दक्षिणा भी तो लेनी है मुझे- क्या दूँ बहिन जगन बोला अभी नहीं जब तुम मौत के मुँह से वापस आ जाओगे। बाबा अमावस्या से पहले तुम्हारे पास पहुँच सकते है उन्हें पहचानने में धोखा मत खा जाना और उनके साथ वापस मत आजाना वरना तुम्हारे प्राण संकट में पड़ जायेंगे अलविदा भईया कहकर परी की आंखे नम हो गई। अच्छा बहिन कहकर जगन भी नम आंखों से चला गया । जगन अपने नगर वापस आया और अपने पिता को सब कुछ बता दिया उसके पिता आश्चर्यचकित हो गए चलो जान बची अब क्या करोगेउसके पिता बोले । मैं एक गाय बनूँगा जिसेआप नीलाम कर अच्छे दामों मे बेच देना औऱ किसी गरीब को मत बेच देना लेकिन ध्यान रखना जब भी मैं रूप बदलूँगा मेरी लगाम किसी को मत देना, वरना मेरे प्राण संकट में पड़ जायेंगे। जगन ने अपने पिता से कहा। वह मेले में गये जगन खूबसूरत तन्दरुस्त गाय बना। उसके पापा ने उसे निलाम कर एक ब्यापारी को 500 दीनार में बेच दिया। दो दिन बाद जगन गाय की खाल छोड़कर अपने प्राण निकाल कर अपने रूप में आ गया गाय का रूप उसने इसलिए छोड़ा ताकि ब्यापारी समझे कि गाय मर गई। फिर वह अपने पापा के वापस आ गया।इस प्रकार उसने भैंस बकरी भेड़ कुत्ता आदि जिनसे धन कमाया जा सकता था कई रूप बदले और अपने को मृत साबित कर हर बार वह खाल वह छोड़ कर अपने शरीर में वापस आ जाता था ताकि लोग समझे कि मर गया । इस प्रकार बाप- बेटों ने पैसे भी अच्छे कमाये। वह चर्चा का विषय भी बन गया कि एक ब्यापारी आता है पशुओं को बेचता है और घर पहुँचते दूसरे दिन पशु मर जता है। यह बात राजा प्रताप और राजकुमारी तक भी पहुँच गयी।

इधर अमावस्या से पहले बात साधु रूपी तांत्रिक तक भी पहुँच गई वह घर पहूँचा तो जगन को लाने को कहा परी बोली वह तो भाग गया साधु सब कुछ समझ गया वह पुत्री को मारने दौड़ा तो वह तोता बन कर उड़ गई और जगन को ढूढने राजकुमारी रूपमती के महल पहुच गयी। साधु बने तांत्रिक ने ध्यान लगा जगन के विषय में जाना तो देखा जगन कद्दावर घोड़ा बना है। साधु भी उस जगह पहुँच गया जहाँ जगन घोड़ा बना था औऱ परी भी वही आ गयी उसने अपने बाबा को देखा उड़ कर वह घोड़े के पीठ पर बैठी भैया और घोड़े के कान में कुछ कहा घोड़े ने सिर हिलाया जेसे सब समझ गया हो अब घोड़े की बोली शुरू हुई साधु भी ब्यापारी बन गया सबसे ज्यादा बोली उसने बोली घोड़ा उसे ही मिला साधु ने लगाम माँगी जगन के पापा ने मना कर दिया घोड़ा भी चिघाड़ने लगा उसने साधु को पहचान लिया था क्योंकि तोता रूपी परी ने उसे सब बता दिया था। साधु ने लगाम लेने के लिये बहुत कोशिश की पर लगाम न मिली अन्त मे धूर्त्तता से लगाम औऱ घोड़ा लेकर भाग गया तोता भी आगे आगे उड़ता रहा। ओर फिर साधु घोड़े को लगाम से मारने लगा घोड़ा बना हुआ जगन तोते के पीछे भागता रहा।वह राजा प्रताप के यहाँ पहुँच गया जहाँ ब्यापारी के चक्कर मे दरबार लगा था वहां राजकुमारी रूपमती भी थी।साधु लगाम से मारकर जब घोड़ा दरबार पहुँचा तो सैनिकों ने साधु से लगाम छीन ली, जिससे वह घोड़े को मार रहा था पीछे से ब्यापारी बना सेठ रामदास आ गया। जिसे राजा भी नही पहचान पाये बोला महाराज यह मेरा घोड़ा जबरदस्ती ले आया और घोड़े के पास आ गया, घोड़े की आखों में आँसू थे। क्या यह सच है कि जिसे तुम अपना पशु बेचते हो वह मर जाता है राजा ने ब्यापारी से पूछा। मै क्या बता सकता हूँ महाराज सेठ रामदास बोला मै बताता हूँ महाराज तब तक साधु ने कहा तुम तो इस घोड़े को मार रहे थे तुम क्या बताओगे। राजा बोला यह ब्यापारी नहीं है यह सेठ रामदास है साधु बना राम दास बोला यह जो पशु बेचता है दूसरे दिन मर जाता है इसको मौत को मात देने की शक्ति है अपना बचन तो याद है न आपको महाराज जो मौत से टकरायेगा उसके साथ आप राजकुमारी की शादी करेंगे एक बार मुझे ये लगाम दे दो वह सैनिक कीओर बड़ा जिसके हाथ मे लगाम थी इससे पहले वह लगाम लेता एक लड़की ने लगान सैनिक के हाथ से ले ली जो कि परी थी अपने असली रूप में आ गयी औऱ बोली इनको लगाम मत देना अब आप उस मौत का खेल देखो। फिर कैसे आदमी मौत के मुंह मे जाकर बचता है घोड़े के पास आगयी बोली – तोता बन अब घोड़े की जगह तोता था सब हक्के बक्के रह गये राजा और राजकुमारी औऱ साधु ने देखा तो वह तोता को पकड़ने के लिये जाल फैलाता उससे पहले परी बोली -भेया गाय तोते की जगह अब गाय थी औऱ साधु कुछ समझ नही पा रहा था। पर वह तुरन्त साँड़ बन गया औऱ गाय से लड़ने लगा। सब गौर से देख रहे थे मौत का खेल कोंन जीतेगा कौन हारेगा इससे पहले गाय जख्मी होती भेया राजकुमारी गला मोती हार ऒर अब वहां गाय नहीं थी वहां साँड़ ही था। जगन तो राजकुमारी गले का हार का मोती का रूप धारण कर दिया जिसमे एक जैसे कई मोती थे। साधु भी अपनेअसली रूप में आ गया और बोला महाराज मै। हम तुमसे बहुत प्रसन्न है। कहो क्या मॉगते हो बाबा बचन देते हो महाराज साधु बोला ठीक है बचन दिया राजा बोला तो मुझे राजकुमारी के गले मे हार चाहिए साधु बोला बस । राजा ने राजकुमारी को गले का हार देने को कहा तभी राजकुमारी को फुसफुसाती आवाज सुनाई दी मुझे मत देना अगर देना पड़े तोड़ कर देना । नहीं पिताजी यह हार हमारी माँ की निशानी है मै इसे नहीं दे सकती राजकुमारी बोली फिर मुझे बचन क्यों दिया साधु बोला महाराज मैं श्राप देता हूं कि लो राजकुमारी ने क्रोध से अपने गले का हार खींचा औऱ मैदान में तांत्रिक साधु के सामने फेंक दिया हार टूट गया। ये क्या महाराज मोती बिखर गये पहचानना मुश्किल हो गया कौन सा मोती है साधु हक्का बक्का रह गया। और बोला लगाम मुझे दे लड़की उसने अपनी बेटी परी से कहा उसने अपनी बेटी को पहचान लिया था। मैने कोई बचन नहीं दिया है बाबा को मैं तुम्हें लगाम दूँगी।परी बोली- तुम्हें बाद में देखूंगा अब मेरा चमत्कार देख साधु ने कहा औऱ बिखरे मोती ढूढ़ना चाहा पर नहीँ मिला उसने तुरन्त चकोर का रूप बदला ताकि मोती चुग सके परी समझ गई उसने तुरन्त जगन से बोली बिल्ली बनो चकोर को खा जाओ। तुरन्त बिल्ली बन जगन ने साधु को मार कर खा दिया साधु के प्राण निकल गये जगन असली रूप में गया । बहिन मैने तुम्हारे पापा को मार डाला जान बोला-कोई बात नहीं जैसी करनी वेसी भरनी। फिर इन्होंने धोखे से सारी विद्या सिखकर मेरी माँ को मार डाला जो मेने भी अपनी माँ से सीखी थी। राजा ने जगन के साथ राजकुमारी का विवाह कर दिया उसने मौत को जीत लिया था और अब परी भी उनके साथ रहने लगी कुछ समय बाद परी का विवाह मंत्री के बेटे के साथ कर दिया।

✍️ Written By मोहन देव पाण्डेय