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सम्राटों का सम्राट

एक श्री कृष्णा क्या कहें इनके बारे में जनता, नेता राजनेता बिजनेस मैन सट्टा बाजार आदि के चहते जो कह दिया कर दिया पर सब कुछ श्रीकृष्णा के इशारों पर चलने वाला तंत्र है। जो श्री कृष्ण भगवान जी ने कह दिया वही करते है सब जैसे गतानिगतिको अर्थात एक साधु था वह मॉग कर अपना जीवन यापन करता था उक्त कहानी मैने अपने बचपन मे संस्कृत के पाठ्यक्रम में पढ़ी थी और बाकी आगे का भाग में अपनी लेखनी के माध्यम से काल्पनिक ढंग से आगे बड़ा रहा हूं। तो साधु बाबा के पास खाने के बाद जो कुछ उसके पास बचता वह कुछ सामान बेचकर धन इकट्ठा कर लेता था एक बार जब उसके पास ज्यादा धन हो गया तो वह सोचने लगा धन वह आने वाले भविष्य के लिए रख देगा जब वह मॉग भी नही सकेगा। कहीं चोरी न चला जाय। उसने नदी के एक ओर जहां पानी नहीं आ सकता था एक गड्ढा किया और एक पोटली में सारा धन रख दिया। और उसके ऊपर शिवलिंग बना दिया उसकी पूजा की फूल आदि रख दिया।उस साधु ने अपने धन की रक्छा केलिए शिवलिंग निशानी के तौर पर बनाया ताकि उसके धन की रक्छा के लिए बनाया ।पर कहते है कि जब किस्मत में न हो तो कोई क्या कर सकता।वह भी वहां से चला गया । और दूसरी जगह चला गया। कुछ समय बाद उसे धन की जरूरत पड़ी। वह धन लेने आया तो देखता है कि वहां तो वैसे ही बहुत सारे शिवलिंग बने हुए थे। उन्हें कहां खोजे वह सब शिवलिंगों में अपने शिवलिंग को देखता पर उसे नहीं मिला इसे कहते है गतानिगतिको यह दुनिया एक के पीछे चलने वाली है जैसे एक करेगा अक्सर दूसरा भी वेसे ही करता है इसे कहते है भेड़ चाल देखते देखते उसे शाम हो गयी और फिर हवा का एक तेज झोंका आया जिससे पानी ने का इतना तेज बहाव आया कि पानी सारे शिवलिंगों को बहा ले गया और वहां हो गया सपाट मैदान।इसे कहते हैं एक के पीछे चलने वाले गतानिगतिकोलोको बेचारा साधु की आंखों में पानी आगया कितनी मेहनत से कमाया हुआ धन एक झटके में चला गया मेहनत इसलिए क्योंकि इतनी धूप गर्मी पसीने से उन पैरो से चलकर जिनमें अब दर्द होने लगा था।मेहनत तो पूरी लगी अब तो उसकी बस की भीख मांगने की भी नहीं रही।पैर भी तो साथ नहीं देरहे थे। और वह साधु दुःख से सोचते हुए चक्कर खा कर गिर पड़ा। और उसके प्राण पखेरू उड़ गये थोड़ी देर में फिर पानी का झोंका आया और उसे बहा के ले गया। इसे कहते है किस्मत जब किसी की किस्मत में धन नहीं हो तो किसी के मकान में आग लग जाती है धन नष्ट हो जाता है मेहनत करने के बाद भी किसान की खेती बर्बाद हो जाती है ।इसे कहते हैं।ग्रहों की चाल समझो या किस्मत या पूर्व जन्मों के पाप या पुण्य पर ये सब देखा किसने है । पर देखा हमारे प्यारे साधु जिनका था। नाम अभी नहीं बताऊँगा क्योंकि कहानी का रहस्य खुल जायेगा तो मजा नहीं आयेगा। साधु के प्राण गये सीधे भगवान विष्णुजी के पास और साधु बाबा भगवान के पास रो पड़े लड़ने लगे। ऐसा क्यों किया आपने मेरी भक्ति में क्या कमी रह गयी थी इस कारण मैंने तो शाधी भी नहीं की। ऐसा भक्त को रोते हुए देखकर भगवान में उन्हें अपने सीने से लगा दिया और उनकी धर्म पत्नी लक्ष्मी भक्त और भगवान के वात्सल्य को देखती रह गयी। और अब आगे।

पार्ट 2 **************************************************

✍️ Written By मोहन देव पाण्डेय